Monday, October 25, 2010

अब खोलो उन सब पन्नों को और देखो क्या सब होता है,
जब रात को नींद नहीं आती और सुबह अँधेरा होता है,
            कुछ रिश्तों के पतवार सही
            कुछ नातों के आधार सही,
            कुछ भूली बिसरी बातों में,
            ज़िक्र तेरा कई बार सही,
पर तुझसे मैं ये क्यूँ कह दूं के हाल मेरा क्या होता है,
जब आगे बढ़ने की शर्तों पर साथ किसी का खोता है,
वह अपना ही होता है अपनों सा प्यारा होता है
जो अपनी आँखों में तुमसा कोई सुख स्वप्न संजोता है,
           किसी का अभिनन्दन तुम हो,
           जिस का वंदन भी तुम हो,
           इच्छा बस एक दर्शन की,
           हृदयगति का स्पंदन भी तुम हो,
उसकी खुशियों के लिए तुम्हारा सर्वस्व न्योछावर होता है,
वह प्राणों से प्यारा होता है आँखों का तारा होता है,
जब प्रेम आकर्षण को तजकर सनेह सरीखा होता है,
ह्रदय बाँध टूट ही जाते है आत्मा से विस्फुटित होता है,
          वह गीतों के यशगान यहीं,
          मन्त्रों के हैं आह्वाहन यहीं,
          सबसे महान सत्य है काल,
          हैं सब विधियों के विधान यहीं,
जो जीवन को एक स्वप्न समझकर सब दिन केवल सोता है,
उसका जीवन हर एक दिशा से मरुस्थल सम होता है,
जो जागकर कर्म की राह पकड़ नित कर्मभूमि में रमता है,
उसके ह्रदय में शक्ति करों में जगन्नाथ बल क्षमता है..

                                                                  - मौलश्री कुलकर्णी
                                                        

2 comments:

  1. अर्थपूर्ण रचना .... अनुकरणीय भाव

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति !
    वर्ड वेरिफिकेशन डिसऎबल करें तो कमेंट करने में कसरत ना करनी पडे़ !

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